गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-7 (Gaumukh to Delhi-7)
"लाला मेरा दोस्त गोविंद खड़ी कांवड़ लेकर जा रहा है हरिद्वार से" कहते हुए नितिन ने मेरी ओर देख कर सहमति मांगने की कोशिश करी..."मुझे को परेशानी नही है बस मुझे मत कहना कि रात को कांवड़ पकड़ कर खड़ा हो जा" कह कर मैं अपनी चाय को ठंडा करने लगा।
आज हमारी यात्रा का आठवां दिन है...सात दिन मे हम गौमुख से ऋषिकेश आ गये हैं और आज हमें हरिद्वार तक ही जाना है तो सत्यनारायण मंदिर मे तपती दोपहर से बचने को आराम कर रहे हैं। यह मंदिर हरिद्वार ऋषिकेश मार्ग पर ही है...
दोपहर ढलने के बाद हम नीले हाथियों से बचते हुए हरिद्वार पहुंच गये हैं। बड़ी भारी भीड़ जुटी हुई है...असली मेला यहीं लगा हुआ है।
रात को हरिद्वार मे ही सभी पड़ौस के लड़के मिल गये जो हमारी सेवा मे लगे पड़े हैं...मैने सुबह जल्दी चलने को बोल दिया है और सभी तैयार भी हैं।