Sunday, February 2, 2020

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-7 (Gaumukh to Delhi-7)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-7 (Gaumukh to Delhi-7)





"लाला मेरा दोस्त गोविंद खड़ी कांवड़ लेकर जा रहा है हरिद्वार से" कहते हुए नितिन ने मेरी ओर देख कर सहमति मांगने की कोशिश करी..."मुझे को परेशानी नही है बस मुझे मत कहना कि रात को कांवड़ पकड़ कर खड़ा हो जा" कह कर मैं अपनी चाय को ठंडा करने लगा।
आज हमारी यात्रा का आठवां दिन है...सात दिन मे हम गौमुख से ऋषिकेश आ गये हैं और आज हमें हरिद्वार तक ही जाना है तो सत्यनारायण मंदिर मे तपती दोपहर से बचने को आराम कर रहे हैं। यह मंदिर हरिद्वार ऋषिकेश मार्ग पर ही है...
दोपहर ढलने के बाद हम नीले हाथियों से बचते हुए हरिद्वार पहुंच गये हैं। बड़ी भारी भीड़ जुटी हुई है...असली मेला यहीं लगा हुआ है।
रात को हरिद्वार मे ही सभी पड़ौस के लड़के मिल गये जो हमारी सेवा मे लगे पड़े हैं...मैने सुबह जल्दी चलने को बोल दिया है और सभी तैयार भी हैं।

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-6 (Gaumukh to Delhi-6)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-6 (Gaumukh to Delhi-6)





"माए नी मेरिये....चमुआ दां राहें...चंबा कितनी दूर...." आज सुबह से ही "करनैल राणा" की आत्मा मेरे अंदर घुस कर इस हिमाचली लोकगीत को गुनगुनाने को मजबूर कर रही है....मैं बहुत धीरे धीरे गाता हुआ अकेला ही चल रहा हूं। नितिन और बाकी साथी भी आज उखड़े हुए से लग रहे हैं शायद रात की घटना से सभी "बैरागी" हो गये हैं।
आज हम बहुत दूर तक टिहरी डैम रिजर्वायर के साथ चलेंगे...मां गंगा यहाँ तक ठहरी हुई सी जान पड़ती हैं। विशाल हरी झील बहुत दूर तक फैली है। सामने ही कहीं नयी टिहरी बसा दी गयी है। पुरानी टिहरी का दर्द अभी भी गीतों के रुप मे गढ़वाली गानों मे सुना जा सकता है। अब टिहरी झील मे वाटर स्पोर्ट्स भी होते हैं...दिल्ली एनसीआर वालों के लिए वीकेंड का अच्छा डेस्टिनेशन बन जायेगा कुछ दिन में।

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-5 (Gaumukh to Delhi-5)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-5 (Gaumukh to Delhi-5)





"लाला इधर देख यहां से चंबा 28 किमी कम है" कहते हुए नितिन चहक उठा और सुनते हुए मैं...हम चिन्यालीसौढ मे खड़े हैं अच्छा खासा बाजार है ये,यहां से चंबा जाने के तीन रास्ते हैं। पहला सीधा सड़क मार्ग,दूसरा कमांद तक सड़क उसके बाद शॉर्टकट लगाकर चंबा मसूरी रोड से होकर और तीसरा जो नितिन दिखा रहा है स्यांसू,उप्पू,सिराई,दोबाटा होकर।

नागेश और इंदर इसी रास्ते से जा रहे हैं। अब नया रास्ता देखना तो बनता ही है तो हम भी इसी रास्ते पर चल पड़े हैं। चिन्यालीसौढ मार्केट से ही बायीं ओर उतर कर पैदल पुल पार करके हम "चंबा-धरासू मार्ग" पर आ गये हैं....

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-4 (Gaumukh to Delhi-4)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-4 (Gaumukh to Delhi-4)



"भाई जी कमरा मिलेगा क्या..." मेरा ये सवाल सुनते ही उस बंदे ने ऐसे देखा जैसे मैने उसकी किडनी मांग लीं हों। "सभी कमरे भर गये हैं और आप ऊपर जाकर देख लो कोई खाली हो तो" इतना कह कर वो ऊपर चढ़ गया। हम गंगनानी मे खड़े हैं यहाँ गरम पानी कुंड है...सुबह गरम पानी मे नहाने का लालच हमें एक दिन मे भैंरोघाटी से यहां खींच लाया है।
ऊपर चढ़ने की हिम्मत हममें से किसी की नहीं हो रही...सामने ढाबे वाले से पूछा तो उसने अपने यहां रुकने का ऑफर दिया बस 100 रुपये में रहना,खाना एक जने का। जमीन पर बिस्तर बिछे हुए हैं और तीन रजाई मिल गयीं....खाना खाकर ऐसी ठंड लगी कि तीनों ने एक ही जगह सोने का निश्चय कर लिया।

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-3 (Gaumukh to Delhi-3)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-3 (Gaumukh to Delhi-3)



सुबह के 5 बज रहे हैं...अचानक मेरी नींद खुली उस अलार्म जैसी आवाज से। एक आंख से देखा तो नितिन मेरी छाती पर मूंग दल रहा है "लाला उठ जा-लाला उठ जा" का जाप करते हुए।अगले ही पल मैने पांच कंबलो को रजनीकांत के स्टाईल मे उतार फेंका और सीधा नितिन से मुखातिब हुआ...हां बोल क्या बात है।

डरते सहमते नितिन ने मां को याद करते हुए कुछ प्रवचन सुनाये और बोला जल्दी जाकर तैयार हो हमें दिल्ली भी पहुंचना है। मैं उदास सा ठंड मे लिपटा आधे घंटे मे टैंट से बाहर निकला। बाहर का नजारा बड़ा ही भक्तिमय है चहुं ओर से धूपबत्ती की सुगंध और सूर्योदय के होने का अहसास बहुत ही हसीन शमा बना रहा है।

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-2 (Gaumukh to Delhi-2)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-2 (Gaumukh to Delhi-2)





यह यात्रा जुलाई 2012 मे करी थी...इसके बाद मे (2011,2015,16) और पहले भी गया हूं पर इस यात्रा से कुछ मीठी यादें जुड़ी हैं।


हम थक कर इधर ऊधर नजर दौड़ा रहे हैं...शायद कोई मदद मिल जाये तभी दो हरियाणा के बंदे गौमुख की तरफ से आते हुए दिखे जो हमारी तरफ ही आ रहे हैं। हमारी करुण कहानी सुन कर वो हमें पास ही एक आश्रम मे ले गये जो अभी तक हमारी आंखों से ओझल था...आश्रम के अंदर आग जली हुई है दो बाबा बैठे हुए हैं जो बड़े बाबाजी के चेले हैं। उन्होंने हमें यह कर रुकने दिया कि बड़े बाबाजी की परमिशन मिलेगी तभी रहने दिया जायेगा...मैने भी हां बोल दिया। भूख और ठंड दोनों एक साथ लग रही हैं...ठंड से आग और चादर बचा लेगी पर रोटी किससे मांगे। बड़े बाबाजी आधे घंटे मे ही प्रकट हो गये...उन्होंने हमे रुकने की आज्ञा दे दी है और साथ ही दो रोटियां आलू की सब्जी के साथ।

Saturday, February 9, 2019

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-1 (Gaumukh to Delhi-1)

गौमुख से दिल्ली पदयात्रा भाग-1 (Gaumukh to Delhi-1)




चींईईईई....की आवाज के साथ बस एक झटके से रुकी मेरे बराबर मे बैठे नितिन और रवि ने सोते हुए ही पूछा कि कहां आ गये। "मैने का उतरो कमीनों हम गंगोत्री पहुंच गये हैं" बस से उतरते ही अपने बैग कंधे पर लाद लिये जिनमें एक जोड़ी कपड़े और एक चादर है बस। 
सामने ही बने गंगोत्री द्वार के चरण स्पर्श करके गंगा मैया को प्रणाम कर अपनी हाजिरी लगा दी...गेट के पास ही बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है "गौमुख 18 किमी" 
मैने भी एक अच्छे टीम लीडर की तरह नितिन और रवि को अपने पीछे आने को कहा और हम गौमुख के लिए चल पड़े हैं। श्रीराम मंदिर के पास जाकर ध्यान आया कि हमने खाना तो खाया ही नहीं और जल भरने के लिए कैन भी नही लीं....मैने नितिन को बोला तो उसने भृकुटि तान कर "प्रवचन" (इसका अर्थ आप @#$&%$# से लगा लेना) सुनाते हुए कहा कि अभी क्यूं बताया गौमुख पहुंच कर बता देता।